दो कला विधाओं और तीन माध्यमों की यह त्रिवेणी प्रदर्शनी मुंबई के कला प्रेमियों के लिए एक नई सौगात है। असुरवेध, विजय कुमारी, मनीषा सांचिहर और हेमंत जोशी की यह प्रदर्शनी मुंबई की जहांगिर आर्ट गैलरी में आयोजित की गयी है। इन चारों कलाकारों के काम को जोड़ने वाला अंतःसूत्र है भौतिक और मानसिक मानवीय स्थितियों को कला के माध्यम से सामने रखते हुए लोगों में संवेदना जगाना। मनीषा का काम जरूर अमूर्त होने के कारण अधिक प्रतीकात्मक है पर शेष तीनों का रचना संसार आकारिक है और कला प्रेमियों के साथ सीधे संवाद करता है।
विजय कुमारी की कला आत्म-प्रकाश की खोज की यात्रा है जो अस्तित्व के भौतिक और गैर-भौतिक दोनों पहलुओं को शामिल करती है। हमारा जीवन अक्सर मूर्त परिस्थितियों में आकार लेता है जो अमूर्त तत्वों से परिचालित होती हैं, यह अमूर्त तत्व हैं - हमारे विचार, भावनाएँ और आध्यात्मिकता - जो हमें गहन आत्म-जागरूकता की ओर ले जाते हैं।कला और साहित्य इस अन्वेषण के लिए शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करते हैं, जो आत्म खोज और आंतरिक ज्ञान का मार्ग प्रदान करते हैं। विजय कुमारी की कला आत्म-प्रकाश की ओर इस यात्रा की एक गहन अभिव्यक्ति है। उनका कलात्मक विकास जीवन के दृश्यमान भावनात्मक संबंधों को चित्रित करने से लेकर प्रकृति के प्रेम के माध्यम से अनंत आत्म में तल्लीन होने तक के परिवर्तन को दर्शाता है। उनका काम शरीर की भौतिक सीमाओं के भीतर रहने के बावजूद आत्मा की असीम प्रकृति के सार को पकड़ता है। अनंत की यह खोज न केवल उनके अपने जीवन को बल्कि उनकी कला के माध्यम से दूसरों के जीवन को भी रोशन करती है।
मनीषा सांचिहर की कला अमूर्त अभिव्यक्ति की एक आकर्षक खोज प्रस्तुत करती है, जो आंतरिक स्व और बाहरी दुनिया के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है। उनका काम मन और भावनाओं की अमूर्त प्रकृति में गहराई से उतरकर पारंपरिक सीमाओं को चुनौती देता है, जो असीम और निराकार हैं। उनकी कला अक्सर लगाव और अलगाव के बीच विरोधाभासी संबंध की खोज करती है। जबकि अमूर्तता सांसारिक रूपों से अलगाव का सुझाव दे सकती है, उनका काम आत्म-अभिव्यक्ति और खुद को समझने की खोज के साथ एक गहरा संबंध प्रकट करता है। यह आंतरिक लगाव भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने की प्रेरणा के रूप में प्रकट होता है, जो भौतिक और गैर-भौतिक दुनिया के बीच की खाई को पाटता है। उनकी पेंटिंग दर्शकों को एक ऐसी स्थिति में ले जाती हैं जहाँ होने और न होने के बीच के अंतर धुंधले हो जाते हैं, जो आत्मनिरीक्षण और स्वयं की खोज को आमंत्रित करते हैं।
हेमंत जोशी का मूर्तिकला के प्रति दृष्टिकोण इस विश्वास पर आधारित है कि किसी भी वस्तु या व्यक्ति का असली सार उसके बाहरी नहीं, आंतरिक स्वरूप में होता है। वह अमूर्त और आकारिक, दोनों तरह के काम करते हैं, पर उनका ज्यादा काम अमूर्त ही है। वह अपनी अमूर्त पत्थर की मूर्तियों के माध्यम से इस छिपी हुई वास्तविकता को उजागर करने
जहांगिर आर्ट गॅलरी मे चार प्रतिथयश कलाकारों की चित्र - शिल्प प्रदर्शनी
कलाकार: असुरवेध, विजय कुमारी, मनीषा सांचिहर और हेमंत जोशी
स्थल: जहांगीर आर्ट गॅलरी, काळा घोडा,
अवधि: २४ से ३० सितंबर २०२४
समय: सुबह ११ से शाम ७ बजे तक
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